Wednesday, January 13, 2010

बहेलिया आएगा, जाल बिछाएगा !!

पहला प्रसंग !!
बचपन की कहानी है , तब सुनी थी तो हँस दिए थे , अब जो फिर से याद आयी तो फिर से हँस दिये ! लेकिन दोनों हँसी में कितना फरक !! कहानी पहले कह लेते हैं , बाद की बात बाद में !!
" तोते बड़े परेशान थे बहेलियों से ! एक बाबा के पास गए, दुखड़ा सुनाया ! बाबा ने मंत्र दे दिया कि इसे रटते रहो , कोई बाल बाँका कर पायेगा !! और महामंत्र क्या था : -
" बहेलिया आएगा, जाल बिछाएगा , दाना डालेगा , हमे बुलाएगा, हम नहीं जायेंगे, हम नहीं फँसेगे ! "
बड़े खुश हुए तोते !! शाख पर बैठे और chanting शुरू !!
बहेलिये आये , ध्यान से सुना तो माथे पर बल पड़ गये रे कि तोते तो ज्ञानी हो गये, अब फंसेगा कोई !!! मन मर गया बहेलियों का, जाल डाला दाना फेंका, घर लौट गये !
यही चला कई दिन , फिर एक दिन बहेलिये ने जाल बिछा ही दिया , बैठा रहा इंतज़ार में ...तोते गाये जा रहे थे , दाने देखे तो बढ़ चले जाल कि तरफ ... लेकिन महामंत्र की chanting बराबर चल रही है ..
" बहेलिया आएगा, जाल बिछाएगा , दाना डालेगा , हमे बुलाएगा, हम नहीं जायेंगे, हम नहीं फँसेगे ! "

अंततः जाल में बैठ गये और दाने खाने लगे , लेकिन मज़े की बात chanting बंद हुयी .... बहेलिया आया, जाल समेटा , बाज़ार चल दिया लेकिन तोतों की भी बात, chanting और जोर से चालू !!!
इस बार हमेशा से ज्यादा तोते फँसे थे , वो तोते जो consious थे , वो तोते जो chanting भी कर रहे थे !!

हँसी पहले आती थी तोतों की बेवकूफी पर और अब आती है ऐसे तोतों को देखकर !!!

दूसरा वाक़या !

अल्हड अलमस्त मै एक प्रवचन में चला गया ऐसे ही ! प्रवचन सुना, सवाल जागे तो पूछे ! जवाब अजीब से , कुछ किताबों के नाम लिए, कुछ तथाकथित महान लोगों के नाम लिए और उनकी बाते पढ़ डाली !! हमारे गुरु जी ने कहा है , इस किताब में लिखा है , इसलिए ये ऐसा है ! एक और किताब है हमारे गुरु जी के गुरु जी की उसमे ये लिखा है कि ये किताब सीधे जगत्पिता ब्रह्मा जी से ही आयी है इसलिए इसका पालन तो होना ही चाहिए !!
कमाल है !!
मैंने सवाल तो बड़े सरल तरीके से पूछे और जवाब ऐसे टेढ़े-मेड़े !! गुरुओं की, किताबों की फौज खडी कर दी और जवाब नदारद ! और हद ये की मुस्करा कर बाबा जी अंग्रेजी में पूछते हैं की मुझे मेरा जवाब मिला कि नही !! गुरु जी की किताबे पढो, सारे जवाब मिल जायेगे !! मैंने पुछा भाई क्यों पढूँ तुम्हारे गुरु जी की किताबे, जवाब आया की बीमार को दवा की ज़रुरत होती है इसलिए !!
बीमार ??? मै ??? और बीमारी कौन सी ?
इलाज क्या ? डॉक्टर कौन ? दवाई क्या ??
मुझे परम श्रद्धेय बाबा आदिल शाह बंगाली, बाबा राजभारती , टल्ली बाबा और हकीम सुलेमानी याद गये !!! गुरु जी के विस्तृत कुल-वृक्ष की कई शाख़ों की तरह !!

मुद्दे की बात !
कोठे बंद हुए तो और कुछ दुकाने सजने लगी , दलालों को काम मिल गया और धरम की दुकानों की तो रेलमपेल हो गयी !! बाबाओं के ब्रांड बन गए ... और मार्केट इतना हॉट की साहब कल नया ब्रांड लौंच कर दो तो दसियों हज़ार भक्त तैयार बैठे !! मेरा भारत आध्यात्मिक देश तो ठहरा !! सच्चे साधु-संत पलायन कर गए और उनके आश्रम कब कारोबारी कोठों में तब्दील हुए पता ही चला !!
धंधा सब का इक जैसा ... कॉम्पटीशन वाली लाइन सो सोलुशन अलग -अलग नाम से अलग -अलग रैपर में मिल जायेंगे ... गोरा करने की क्रीम की तरह तो बाल घने -मुलायम-रेशमी और डैंड्रफ -फ्री करने वाले शम्पू की तरह !!! कोई राम को बेच रहा है, कोई कृष्ण के नाम की खा रहा है, कोई गुमनाम से देवी-देवताओं की फिर से अवतरित कर रहा है -रीमिक्स गानों की तरह .. तो बहुत सारे ऐसे भी हैं की इस झंझट से एकदम अलग ... स्वयंभू भगवान , खुद को भगवान घोषित कर दिया !! ३३ करोड़ तो पहले से ही थे , कुछ हज़ार बढ़ गए तो क्या फरक होगा !

कोठे हैं, दलाल हैं, रंडियाँ है और इन सबके बीच तुम ..... चमत्कारों की आस में फँसा एक आम भारतीय ! महामंत्र चाहिए तुम्हे भी !! और जल्दी में तो तुम हो ही !! और डरे भी ! कलयुग में पैदा हुए हो और आने वाला वक़्त घोर कलयुग का है !!
महा-मूरखता में जकडे , जगद्गुरु का झूठा दंभ भरे, भविष्य को लेकर सहमे और डरे , अर्ध-विक्षिप्त और असंतुष्ट : - दलालों के लिए सबसे आसान टार्गेट !!

सलाह कुछ नयी नहीं .... आँखें खोलो, अपने सत्य को खुद पहचानो , तलाशो !!

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